तिल खाने के फायदे जानकार रह जायेंगे हैरान- 9 Health Benefits Of Sesame Seeds In Hindi

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सर्दियों में शरीर को ऊर्जा की ज़्यादा ज़रूरत होती है। जिस वजह से सर्दियों में अक्सर तिल खाने की सलाह दी जाती है।सर्दियों में तिल खाने के फायदे अनगिनत है। इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप जान जायेंगे की ऐसे कौन से तिल खाने के फायदे है जिस वजह से सर्दियों में इनको खाने की सलाह दी जाती है। इस आर्टिकल में हम Til khane ke fayde पर विस्तार से चर्चा करेंगे ताकि आप जान पाए की कैसे ये नन्हा सा बीज हमारे स्वास्थ्य के लिए किसी औषधि से कम नहीं। 



til khane ke fayde


तिल के बारे में कुछ बुनयादी जानकारी 

तिल की खेती सिर्फ मध्य एशिया व उत्तरी अफ्रीका में ही होती है क्योकि तिल को उगने के लिए मध्यम तापमान की ज़रूरत होती है। यही कारण है की इन्हीं जगह के देशों के खाने में तिल का चलन काफी देखने को मिलता है। आपको वेस्टर्न देशों में तिल का इस्तेमाल करने वाली रेसिपी ना के बराबर ही मिलेंगी। तिल के फायदों को देखते हुए चीन ने इन्हे अपने खानपान में बखूबी रमा रखा है। चीन एक अकेला देश है जहाँ तिल या तिल के तेल के बिना खाना बनाने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। 

तिल ज़्यादातर 3 तरह का होता है - सफ़ेद, काला, व हल्का पीला तिल। 

जिसमे से सफ़ेद तिल सबसे ज़्यादा उगता है। वो इसलिए क्योकि इसका पौधा थोड़ा ताकतवर होता है जो विषम परिस्थतियों को आसानी से झेल जाता है। जबकि सबसे कम पैदावार पीले तिल की होती है क्योकि इसकी फसल इतनी आसानी से उग नहीं पाती। यही कारण है की बाज़ारो में पीला तिल बहुत कम दिखता है जबकि सफ़ेद तिल की भरमार है। 

तिल खाने के फायदे -Health benefits of sesame seeds in hindi

तिल प्रोटीन, खनिज जैसे कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, मैंगनीज़ आदि से भरे होते है। इनमे विटामिन-E और विटामिन-B फैमिली के कई विटामिन्स मौजूद होते है। यही कारण है की तिल को सर्व-उद्देश्यीय पोषक बैंक (Multi purpose nutrient bank) कहा जाता है।  

1. ब्लड प्रेशर ठीक रखता है। 

तिल में विटामिन-E और कई तरह के पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड जैसे फाइटोस्टेरॉल (phytosterol), लिगनेन (liganin) आदि मौजूद होते है। कई रिसर्च बताती है की विटामिन-E और पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड का जोड़ ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद है। इसलिए रोज़ाना तिल का सेवन आपको उच्च रक्तचाप जैसी समस्याओं से दूर रखता है। 

2. पाचन क्रिया को तेज़ करता है। 

खाने में मौजूद फाइबर, खाने को जल्दी पचने में मदद करता है। जिस वजह से अपच, गैस, बदहज़मी जैसी समस्याएं पैदा नहीं होती। इसलिए खाने के साथ अधिक सलाद का सेवन करने की सलाह दी जाती है। 

मगर सिर्फ सलाद ही नहीं बल्कि तिल भी फाइबर से भरपूर होते है। लगभग 100 gm तिल में 42% फाइबर मौजूद होता है। इसलिए रोज़ तिल का सेवन आपका हाज़मा ठीक रखता है। 

3. बालों की लम्बाई बढ़ाता है। 

तिल में लगभग 89.57 % आसानी से पचने वाला प्रोटीन पाया जाता है। लगभग 100 gm तिल में करीब 18-20 gm प्रोटीन होता है। यही कारण है तिल को 8 अनाजों का ताज भी कहा जाता है। 

इतनी मात्रा में प्रोटीन का स्रोत होने के कारण यह बालों की बढ़ोतरी में काफी सहयोगी है। 

4. हड्डियों को मज़बूत करता है। 

तिल में हड्डियों के लिए ज़रूरी खनिज जैसे कैल्शियम, मैंगनीज़, फॉस्फोरस, पोटासियम, मैग्नीशियम आदि पाए जाते है। यह सभी खनिज हड्डियों की मज़बूती में अहम भूमिका अदा करते है। यही वजह है रोज़ तिल खाना आपकी हड्डियों को मज़बूत रखता है। 

35 वर्ष से ऊपर की महिलाएं, दूध पिलाने वाली महिलाएं, सफ़ेद स्राव (white discharge) की समस्या से ग्रसित महिलाओं के लिए में तिल खाना रामबाण साबित होगा। 

5. कोलेस्ट्रॉल घटाता है (Increase cholestrol metabolism)

किसी भी प्रकार की वसा या चर्बी दो तरह के मॉलिक्यूल की बनी होती है। सैचुरेटेड फैटी एसिड और अनसैचुरेटेड फैटी एसिड। जिनमे से अनसैचुरेटेड फैटी एसिड हमारे शरीर के लिए इतने हानिकारक नहीं है जितने की सैचुरेटेड फैटी एसिड होते है क्योकि सैचुरेटेड फैटी एसिड जल्दी पिघलते नहीं है। इसलिए यह हमारे शरीर में जमा होते रहते है। अंतत ह्रदय सम्बन्धी व उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों का कारण बनते है। 

तिल में लगभग 45-57 % तेल होता है। जिसमे 80 % - अनसैचुरेटेड फैटी एसिड होते है जबकि 20 % - सैचुरेटेड फैटी एसिड। 

शरीर को एक खास अनसैचुरेटेड फैटी एसिड लिनोलिक एसिड ( linoleic acid ) की ज़रूरत कोलेस्ट्रॉल को पचाने के लिए होती है और तिल में लिनोलिक एसिड अच्छी मात्रा में मौजूद है।  

इस कारण तिल का सेवन हाई कोलेस्ट्रॉल से पैदा होने वाली बिमारियों जैसे ह्रदय सम्बन्धी रोग, मोटापा, व उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों से हमे बचाता है।

तिल गुड़ लड्डू की रेसिपी  

Til Khane Ke Fayde

6. जोड़ो के दर्द में राहत देता है। 

गठिया (arthritis) जैसी बिमारियों में जोड़ो पर मौजूद कार्टिलेज या उपास्थि घिस जाती है। जिस वजह से जोड़ के बार-बार मुड़ने की वजह से दोनों सिरों की हड्डियों में रगड़ पैदा होती है। जिस से सूजन व जलन की समस्या आती है। 

तिल में मौजूद सेस्मोल (sesmol) सूजन रोधी भूमिका निभाता है। यह उन केमिकल को दबा देता है जो सूजन व उसके साथ होने वाली जलन की स्थिति पैदा करते है। इस प्रकार तिल का रोज़ाना सेवन गठिया बाय के मरीज़ो को जोड़ो के दर्द में काफी राहत देता है। 

7. कैंसर होने से रोकता है। 

तिल में एंटीऑक्सिडेंट्स भरपूर मात्रा में होते है। जो ऑक्सीडेटिव तनाव को घटाता है। यही ऑक्सीडेटिव तनाव कोशिकाओं पर बुरा असर डालकर कई बीमारियों जैसे कैंसर, ह्रदय व दिमाग सम्बन्धी बीमारियों का कारण बनता है। 


कई रिसर्च बताती है की तिल में मौजूद सेसमीन (sesamin) में एंटी-कैंसर गुण होते है। यह कैंसर के ट्यूमर को पनपने व बढ़ने से रोकता है। 

8. टाइप-II डायबिटीस को कम करता है  

कई रिसर्च में देखा गया है की डायबिटीस के मरीज़ो पर तिल खाने का काफी सकारात्मक असर हुआ है। इसलिए रोज़ तिल खाना शुगर के मरीज़ो के लिए काफी फायदेमंद होता है। तिल के बीज एक सच्चा पोषण पावरहाउस हैं, जिनमें प्रभावशाली मात्रा में प्रोटीन और फाइबर होता है। 100 ग्राम सफेद तिल में 12 ग्राम फाइबर और 18 ग्राम प्रोटीन होता है। ये पोषक तत्व पेट भरा हुआ महसूस करने और रक्तप्रवाह में ग्लूकोज को धीरे-धीरे जारी करके रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

लेकिन इतना ही नहीं - तिल के बीज मैग्नीशियम का भी एक समृद्ध स्रोत हैं, एक खनिज जो कई शारीरिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से, मैग्नीशियम इंसुलिन उत्पादन और ग्लूकोज चयापचय को विनियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे यह स्वस्थ रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखने के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व बन जाता है।

9. रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है 

तिल में ढेरो तरह के विटामिन्स और मिनरल्स मौजूद होते है। जो कई शरीरिक प्रक्रियाओं में सहायक होते है। साथ ही तिल में ढेरो एंटीऑक्सिडेंट्स भी मौजूद होते है। यह सभी मिलकर शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाते है। यही कारण है तिल को पोषण पावरहाउस भी कहा जाता है। 

आमतौर पर किसी भी बीज का कोल्ड-प्रेस तेल ज़्यादा सेहतमंद होता है क्योकि तेल निकलते वक़्त तापमान कम रहने की वजह से इसके पोषक तत्व मरते नहीं। मगर तिल में यह बात उल्टी है। तिल में कोल्ड-प्रेस की जगह हॉट-प्रेस तेल में एंटीऑक्सिडेंट्स बढ़ जाते है। 

अक्सर लोगो के मन में सवाल होता की उन्हें 

कौन सा तिल खाना चाहिए ? सफ़ेद तिल या काला तिल ?

जैसे जैसे तिल की ऊपरी परत का रंग गहराता है वैसे-वैसे उसमे तेल की मात्रा कम हो जाती है और प्रोटीन का अनुपात बढ़ जाता है । इसी वजह से सफ़ेद तिल में तेल का अनुपात अधिक होता है तो काले तिल प्रोटीन से भरपूर होते है। यही कारण है की काले तिल अधिक पोषकदाई माने जाते है। 

ज़्यादा तिल खाने के नुकसान

खाने की कोई भी चीज़ हो उसका फायदा तभी हो सकता है जब हम उसे ना तो ज़रूरत से कम ले और ना ही ज़्यादा। हमे 1 दिन में कितने तिल खाने चाहिए ? यह सवाल तिल के फायदे पढ़कर दिमाग में आना प्राकृतिक है। 

तिल में प्रोटीन, मिनरल्स, विटामिन्स, और वसा सभी भरपूर मात्रा में मौजूद होते है। तिल में मौजूद अलग-अलग तरह के जैव-सक्रिय के अलग-अलग फायदे है। यही कारण है इनकी ज़्यादा मात्रा नुकसान देह साबित हो सकती है। वैसे तो रोज़ाना कितने तिल का सेवन करना चाहिए ? यह बात कई बातों पर निर्भर करती है जैसे उम्र, दैनिक दिनचर्या, लिंग, मेडिकल हिस्ट्री, आदि। 

फिर भी प्रतिदिन 10 gm तिल यानी एक चम्मच तिल काफी है। यह एक ऐसा अनुपात है जो लाभप्रद होगा। इसलिए आप रोज़ाना या तो रात को भीगा कर या फिर इसका पेस्ट बनाकर 10 gm तिल का सेवन कर सकते है। 

नोट:- हमारी सलाह यह है की तिल को रोज़ाना लेने अच्छा है आप अलग-अलग खाद्य पदार्थो को अपनी दिनचर्या में शमिल करे इस से किसी भी एक चीज़ के शरीर में ओवर लोड होने का खतरा कम बनता है। दरसल  तिल की तासीर गर्म होती है। तो कई बार यह अपच और बदहज़मी का कारण भी बन सकते है।  

1. वज़न बढ़ा सकता है 

रोज़ ज़रूरत से ज़्यादा तिल खाना आपको मोटा कर सकता है। तिल में तेल का अनुपात ठीक-ठाक होता है। इसलिए ज़रूरत से ज़्यादा खाने पर आपके शरीर में वसा इकठ्ठा होगी और आपका वज़न बढ़ा देगी। 

वैसे भी 10 gm तिल से आपको लगभग 52 कैलोरी की ऊर्जा मिल जाती है। यदि आप वज़न के प्रति सचेत है तो इसकी कैलोरी ध्यान में रखकर ही खाए। 

2. ब्लड प्रेशर कम कर देता है 

ऊपर आपने पढ़ा की तिल में विटामिन-E और पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड दोनों मौजूद होते है। दोनों का जोड़ हाई ब्लड प्रेशर को कम करता है। इसलिए ज़रूरत से ज़्यादा तिल खाना कभी कभार ब्लड प्रेशर को सामान्य 120/80 mmHg से भी नीचे ला सकता है। 

3. किडनी में पथरी कर सकता है। 

तिल में कुछ एंटी-नुट्रिएंट्स भी मौजूद होते है। जिनमे ऑक्सेलिक एसिड, फाइटिस एसिड, व टैनिन मुख्य है। यह सभी एंटी-नुट्रिएंट् शरीर में खनिज और प्रोटीन के अवशोषण को घटा देता है। जिस कारन यह गुर्दे में पथरी के तौर पर जमा हो जाते है। 

4. अपच/ बदहज़मी का कारण 

एंटी-नुट्रिएंट्स की वजह से खाने का ठीक से अवशोषित ना हो पाना अपच पैदा करता है। 

तिल में मौजूद एंटी-नुट्रिएंट्स से कैसे बचे ?

कई शोध में देखा गया है तिल के पकने से इन एंटी-नुट्रिएंट्स की मात्रा कम हो जाती है। यदि तिल के साथ कैल्शियम को कोई और स्रोत भी लिया जाए तो भी यह एंटी-नुट्रिएंट्स काफी हद तक बेअसर हो जाते है। बाकी भिगो कर या अंकुरण भी अन्य कुछ विकल्प है।  

आइये पहले देख लेते है की तिल में कौन से पोषक तत्व मौजूद है -What is the nutritional value of sesame seeds?

तिल के पोषक तत्व/ 100 gm 

प्रोटीन - 17-18  gm

फाइबर - 11.8 - 18 gm

कार्बोहाइड्रेट - 9.85

वसा - 49.7

तांबा - 1.58 mg

आयरन- 14.6 mg

मैग्नीशियम - 324 mg

मैंगनीज - 1.24 mg

फास्फोरस - 605 mg

पोटेशियम - 468 mg

सेलेनियम - 26.5 mg

सोडियम - 2.31 mg

जिंक - 5.74 mg

विटामिन ई - 25 mg

विटामिन बी1 या थायमिन - 79 mg

विटामिन बी2 या राइबोफ्लेविन - 25 mg

विटामिन बी3 या नियासिन - 4.52 mg

विटामिन बी5 या पैंटोथेनिक एसिड - 5 mg

विटामिन बी6 - 79 mg

विटामिन बी9 या फोलेट - 97 mg

सवाल :-

1. रोज़ तिल खाना अच्छा है ?

रोज़ तिल खाना सेहत के लिए लाभदायक है क्योकि तिल में प्रोटीन, खनिज, विटामिन्स, व भरपूर एंटीऑक्सिडेंट्स होते है। रोज़ तिल खाने से हड्डियां मज़बूत होती है, डायाबिटीस घटने में मदद मिलती है, ब्लड प्रेशर भी ठीक रहता है। मगर रोज़ ज़रूरत से ज़्यादा तिल खाना आपको मोटा कर सकता है। इसलिए रोज़ सिर्फ 10 gm तिल खाकर ही आपको लगभग 52 कैलोरी की ऊर्जा मिल जाती है। यदि आप वज़न के प्रति सचेत है तो इसकी कैलोरी को ध्यान में रखकर ही खाए। 

2. काला या सफ़ेद तिल कौन सा बेहतर है ?

यह कह पाना सही नहीं है की कौन सा बेहतर है क्योकि दोनों ही तिल अलग-अलग पोषक तत्वों की वजह से महत्वपूर्ण है। काले तिल में प्रोटीन का अनुपात अधिक होता है जबकि सफ़ेद तिल में तेल का अनुपात अधिक है। सफ़ेद तिल के तेल में लिनोलिक एसिड होता है जो कोलेस्ट्रॉल घटाता है।    


Medically edited by:- 
Dr. Dolly