Oxidative Stress क्या होता है ? जानिए ऑक्सीडेटिव तनाव किस तरह आपको बूढा कर रहा है !

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आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में तनाव का सामना सभी को करना पड़ता है। क्या आप किसी ऐसे तनाव के बारे में भी जानते है जो धीमे-धीमे आपको बीमारियों और बुढ़ापे की तरफ ले जाता है और आप को इसकी भनक भी नहीं लगती। ऐसे ही एक तनाव, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के बारे में हम इस आर्टिकल में चर्चा करेंगे। आखिर क्या होता है Oxidative Stress ? कैसे यह हमारे शरीर पर बुरा असर डालकर हमे बूढा और बीमार करता है ? क्या ऑक्सीडेटिव तनाव से बचा भी जा सकता है ? इन सभी सवालों के जवाब आपको इस आर्टिकल में मिल जाएंगे। 

oxidative stress kya hota hai oxidative stress se aging in hindi

ऑक्सीडेटिव तनाव क्या है ?

ऑक्सीडेटिव तनाव का मतलब होता है शरीर में फ्री रैडिकल्स का असामान्य ढंग से बढ़ जाना। इसे आप ऐसे भी समझ सकते है , जब शरीर में फ्री रैडिकल्स व एंटीऑक्सिडेंट्स के बीच एक असंतुलन पैदा हो जाता है यानी फ्री रैडिकल्स की संख्या एंटीऑक्सिडेंट्स के मुकाबले काफी अधिक हो जाती है तब एक तनाव जैसी ही स्थिति उत्पन्न हो जाती है। उसी को ऑक्सीडेटिव तनाव (Oxidative Stress) कहा जाता है। 

Oxidative Stress क्यों होता है?

हमारे शरीर को सुचारु रूप से चलते रहने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। शरीर की कोशिकायें चयापचय क्रियाओं में ऑक्सीजन का इस्तेमाल करके शरीर के लिए ज़रूरी ऊर्जा उत्पन्न करती है उसी दौरान यह फ्री रैडिकल्स नैसर्गिक रूप से बनते है। 

मगर और कई अन्य कारण है जो इन फ्री रैडिकल्स के आसामान्य रूप से बढ़ने का कारण होते है। जिनमे से कुछ नीचे लिखे है-

धूम्रपान, 
UV-rays व X-ray से लगातार संपर्क,
सूर्य की रौशनी  
मोटापा, 
वायु प्रदूषण, 
कुछ औद्योगिक  रसायनो से सम्पर्क, 
तम्बाकू का सेवन,
बहुत ज़्यादा बाहर का खाना खाने की आदत  

फ्री रैडिकल्स/ मुक्त कण क्या है ? 

फ्री रैडिकल्स/ मुक्त कण  का मतलब है, जब किसी अणु ( molecule) के पास इलेक्ट्रान विषम संख्या में हो तो वह अस्थिर हो जाता है। इसी कारण स्थिरता पाने के लिए यह किसी ऐसे अणु से जुड़ना चाहता है जो इसे इलेक्ट्रान देकर इसके इलेक्ट्रान की संख्या को सम संख्या बना सके जिसके साथ यह स्थिर हो जाते है। 
मगर जब यह अस्थिर अणु किसी अन्य अणु से इलेक्ट्रान लेकर खुद को स्थिर करता है तो इलेक्ट्रान देने वाला अणु खुद ही अस्थिर हो जाता है और एक नया फ्री रैडिकल बन जाता है। इस प्रकार यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है। 
मगर एन्टीऑक्सिडेन्स में खूबी होती है की वो बिना अस्थिर हुए इन फ्री रैडिकल्स को इलेक्ट्रान देकर स्थिरता  प्रदान करते है । इस प्रकार एंटीऑक्सिडेंट्स फ्री रैडिकल्स को बेअसर करके श्रृंखला प्रतिक्रिया को रोकते है, व हमारी कोशिकाओं को क्षति से बचाते है।

क्या फ्री रैडिकल्स हानिकारक होते है  ?

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कम संख्या में फ्री रैडिकल्स शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुँचाते। उल्टा तब यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते है व कोशिकीय सरंचना के बनने के लिए भी ज़रूरी घटक होते है। 

वैसे तो फ्री रैडिकल्स की जीवंत आयु सेकंड के कुछ हिस्से तक ही होती है। मगर जब इनकी संख्या अत्यधिक हो जाती है तब ये इतनी देर में ही हमारी कोशिकाओं व उनमे मौजूद DNA को खराब कर सकने की क्षमता रखते है। इस प्रकार ये फ्री रैडिकल्स हमारी कोशिकाओं को हानि पहुँचाकर उनमे उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज़ कर देते है साथ ही कई अन्य प्रकार की खतरनाक बीमारियाँ पैदा कर देते है। जैसे-
-हाइपरटेंशन(उच्च रक्तचाप)
-कैंसर
-डायबिटीज़ 
-दिल की बीमारी
-न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग या मस्तिष्क से संभंधित बीमारियाँ (जैसे पार्किंसंस,अल्जाइमर)
-एथेरोस्क्लेरोसिस (रक्त वाहिकाओं का सख्त होना)
-देरी से यौन परिपक्वता और यौवन की शुरुआत (जब कैडमियम जैसे रसायनो से संपर्क होता है)
-जोड़ो में दर्द (गठिया बाय)

ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के लक्षण 

1. बहुत ज़्यादा थकन रहना 

2. उम्र से पहले बुढ़ापे के लक्षण जैसे चेहरे पर झुर्रियां आना, बालों का सफ़ेद होना 

3. आँखों का कमज़ोर होना 

4. याददाश्त कमज़ोर होना/ चीज़े जल्दी भूल जाना 

5. रोगप्रतिरोधक क्षमता कम हो जाने पर संक्रमण से जल्दी प्रभावित हो जाना 

6. मांसपेशियों व जोड़ो में दर्द बढ़ जाना 

ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम करने के उपाय

1. एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर भोजन खाये 

कई रिसर्च के नतीजे बताते है की एंटीऑक्सिडेंट्स फ्री रैडिकल्स से लड़कर उन्हें ख़त्म कर देते है। यूँ तो हमारे शरीर में भी एंटीऑक्सिडेंट्स मौजूद होते है। मगर उनकी मात्रा इतनी नहीं होती की वो सभी फ्री रैडिकल्स का सफाया कर सके। यही वजह है हमे अपने भोजन के द्वारा एंटीऑक्सिडेंट्स लेने की ज़रूरत होती है। 

एक औसत व्यक्ति को प्रतिदिन 1-2 mg एंटीऑक्सिडेंट्स की आवश्यकता होती है। जिन्हे आप हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ, लहसुन, प्याज़, चटक रंगों वाले फल जैसे केला, काले अंगूर, जामुन इत्यादि, कॉफ़ी, डार्क चॉकलेट, काली मिर्च आदि को अपने खाने में शामिल कर के पा सकते है। 

2. विकिरण/रेडिएशन में रहने से बचे 

आपको ज़्यादा देर तक किसी भी प्रकार के विकिरण जैसे X-ray, UV-ray आदि में  नहीं रुकना चाहिए। 

3. धूमप्रान व शराब का सेवन छोड़ दे ।

4. नियमित व्ययाम करे 

रोज़ाना कसरत हमारे शरीर में एंटीऑक्सिडेंट्स के बनने को उत्तेजित करती है। इसलिए प्रतिदिन व्ययाम की आदत ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को नियंत्रित रखती है। 

5. मानसिक तनाव को दूर रखे 

लम्बे समय तक किसी भी तरह का मानसिक तनाव भी ऑक्सीडेटिव तनाव की वजह बन जाता है। इसलिए आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में यह बहुत ज़रूरी है की हम अपने मन को शांत रखे। इसलिए हमे प्रतिदिन योगा या ध्यान जैसी क्रियाओं को अपनी जीवनचर्या में शामिल करना चाहिए। 

6. वायु प्रदुषण से बचे  

वायु प्रदूषण भी ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस का एक मुख्य कारण है। इसलिए आजकल के तेज़ी से आधुनिकता की और बढ़ते शहरों में जहाँ वायु का स्तर दिन-ब-दिन गिर रहा है वहां इसका खास ख्याल रखने की ज़रूरत है। जिसके लिए आप निम्नलिखित चीज़े अपना सकते है -

-ट्रैफिक में चलते समय मास्क का उपयोग करे। 

-अपने आसपास अधिक से अधिक ऐसे पौधे लगाए जो हवा को शुद्ध करते है। जैसे-एरेका पाम, जेड प्लांट, स्नेक प्लांट, एलोवेरा, पीस लिली आदि। 

-अपने काम करने की जगह व घर में हवा छानने की मशीन (air purifier) का उपयोग करे। 

7.  औद्योगिक रसायनों से दूर रहना 

निरंतर औद्योगिक रसायनों में रहने से भी ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस शुरू हो जाता है। इसलिए इनसे दूरी बनाना भी इससे बचने के लिए ज़रूरी है। 

एंटीऑक्सिडेंट्स के कुछ शाकाहारी स्रोत

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टमाटर: इसमें लाइकोपीन नाम का एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होता है। 
जामुन: या ब्लूबेरी, रास्पबेरी और स्ट्रॉबेरी
ड्राई फ्रूट्स: बादाम, अखरोट और अलसी के बीज
दालें व छोले: एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर और प्रोटीन के उत्कृष्ट स्रोत हैं।
पालक: विटामिन सी, विटामिन ई और बीटा-कैरोटीन जैसे एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर पालक एक पौष्टिक पत्तेदार हरी सब्जी है।
हल्दी: इसमें करक्यूमिन होता है, जो सूजन-रोधी गुणों वाला एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है।
आंवला: विटामिन सी में अत्यधिक उच्च, यह अपने शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए जाना जाता है।
दालचीनी: दालचीनी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है और इसमें सूजन-रोधी प्रभाव होते हैं।
अदरक:यह भी अपने एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के लिए जाना जाता है।
लहसुन: इसमें एलिसिन होता है, जो एंटीऑक्सीडेंट गुणों वाला एक यौगिक है जो पुरानी बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
ग्रीन टी: भारत में व्यापक रूप से पी जाने वाली ग्रीन टी कैटेचिन से भरपूर होती है, जो शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट हैं।
डार्क चॉकलेट: डार्क चॉकलेट में फ्लेवोनोइड्स जैसे एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जिनके विभिन्न स्वास्थ्य लाभ होते हैं। मगर ध्यान रहे इसे कम मात्रा में ही लेना है। 
कॉफ़ी: कॉफी में भी भरपूर एंटीऑक्सिडेंट्स मौजूद होते है। दिन में 3-5 कप कॉफ़ी आपकी प्रतिदिन की एंटीऑक्सिडेंट्स की ज़रूरत को पूरा कर देती है। 


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मेथी: इसमें फ्लेवोनोइड्स और पॉलीफेनोल्स जैसे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। 
जीरा: इसमें फ्लेवोनोइड्स जैसे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं और नियमित रूप से सेवन करने पर इसके विभिन्न स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं।
धनिया: इसमें एंटीऑक्सिडेंट होते हैं और आमतौर पर भारतीय व्यंजनों में गार्निश के रूप में उपयोग किया ही जाता है।

एंटीऑक्सिडेंट्स के कुछ माँसाहारी स्रोत

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मछली: विशेष रूप से तैलीय मछली जैसे सैल्मन, मैकेरल और सार्डिन में ओमेगा -3 फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है और इसमें एस्टैक्सैन्थिन जैसे प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट होते हैं।
चिकन: चिकन, विशेष रूप से स्तन के मांस जैसे दुबले टुकड़ों में सेलेनियम होता है, जो एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है और कोशिकाओं को क्षति से बचाने में मदद करता है।


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अंडे: विटामिन ए, ई और डी जैसे पोषक तत्वों के साथ-साथ ल्यूटिन और ज़ेक्सैन्थिन जैसे एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर है। 
लिवर: चिकन, बकरा, भेड़ आदि जानवरो के लिवर जैसे अंग के मांस पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और इसमें विटामिन ए, सी और ई जैसे एंटीऑक्सीडेंट के साथ-साथ सेलेनियम और जिंक भी होते हैं।
समुद्री स्रोत: झींगा, केकड़ा और झींगा मछली प्रोटीन और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होने के साथ-साथ सेलेनियम और अन्य एंटीऑक्सिडेंट के स्रोत हैं।
लाल मांस: यानी बकरे, भेड़ आदि के मांस का थोड़ी मात्रा में सेवन करना भी बहुत ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को घटाने के लिए अच्छा है। इन जानवरों के थोड़े मीट में भी अच्छा खासा जिंक और सेलेनियम मौजूद होता हैं, जो एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करते हैं।
सूप: जानवरों की हड्डियों व को थोड़े बहुत मांस के साथ उबालकर बनाया गए सूप में ग्लूटाथियोन जैसे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो इसके पोषण से भरपूर बना देते है। 
बत्तख: भारत में कुछ जगहों पर बत्तख का मांस खाया जाता है। बत्तख का मांस सेलेनियम, नियासिन और अन्य एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, जो इसे आहार में एक स्वादिष्ट अतिरिक्त बनाता है।

कुछ सवाल 

1. ऑक्सीडेटिव तनाव के कारण कौन सा विकार होता है?

ऑक्सीडेटिव तनाव से उत्पन्न फ्री रैडिकल्स कोशिकाओं व उनमे मौजूद DNA को हानि पहुँचाकर उनमे उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज़ कर देते है जिससे कई प्रकार की खतरनाक बीमारियाँ पैदाहो जाती है। जैसे-हाइपरटेंशन(उच्च रक्तचाप), कैंसर, डायबिटीज़, दिल की बीमारी, न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग या मस्तिष्क से सम्बंधित बीमारियाँ (जैसे पार्किंसंस,अल्जाइमर), एथेरोस्क्लेरोसिस (रक्त वाहिकाओं का सख्त होना), देरी से यौन परिपक्वता और यौवन की शुरुआत (जब कैडमियम जैसे रसायनो से संपर्क होता है) आदि। 

2. कौन सा एंटीऑक्सीडेंट ऑक्सीडेटिव क्षति से बचाता है?

बीटा-कैरोटीन, सेलेनियम, विटामिन सी, विटामिन ई आदि। 

3. ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस का उदाहरण क्या है?

बहुत ज़्यादा थकन रहना, उम्र से पहले बुढ़ापे के लक्षण जैसे चेहरे पर झुर्रियां आना, बालों का सफ़ेद होना, आँखों का कमज़ोर होना , याददाश्त कमज़ोर होना/ चीज़े जल्दी भूल जाना , रोगप्रतिरोधक क्षमता काम हो जाने पर संक्रमण से जल्दी प्रभावित हो जाना, मांसपेशियों व जोड़ो में दर्द बढ़ जाना आदि ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से लक्षण या उदाहरण है। 

4. ऑक्सीडेटिव तनाव क्या कम करता है?

ऑक्सीडेटिव तनाव आपमें ऊर्जा, ताकत, यौवन, रोग प्रतिरोधक क्षमता, काम कर देता है।  इसके साथ ही यह आपको काई बीमारियों जैसे हाइपरटेंशन(उच्च रक्तचाप), कैंसर, डायबिटीज़, दिल की बीमारी, न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग या मस्तिष्क से सम्बंधित बीमारियाँ (जैसे पार्किंसंस,अल्जाइमर), एथेरोस्क्लेरोसिस (रक्त वाहिकाओं का सख्त होना), देरी से यौन परिपक्वता और यौवन की शुरुआत (जब कैडमियम जैसे रसायनो से संपर्क होता है) आदि से भी ग्रस्त कर देता है। 

Medically edited by:- 
Dr. Dolly