सफ़ेद पानी का इलाज व सफ़ेद पानी क्यों आता है : White Discharge Problem In Hindi

Read In English 

कभी ना कभी लगभग हर महिला को सफ़ेद पानी की समस्या हो ही जाती है। सफ़ेद पानी का इलाज बहुत जटिल व लम्बा नहीं है। यदि महिला यह जान ले की सफ़ेद पानी क्यों आता है व उसे किन बातों का ध्यान रखना चाहिए तो इस समस्या से निदान पा सकती है। जिसकी हम आगे चर्चा करेंगे। 

safed paani kaa ilaaj safed paani kyon aata hai

सफ़ेद पानी/ White Discharge क्या होता है ?

महिलाओं में अकसर योनि से एक द्रव निकलता है जो पारदर्शी, दूधिया या हल्का पीला हो सकता है। कभी कभार इसमें दुर्गन्ध होती है तो ज़्यादातर यह दुर्गंधरहित होता है। इसे ही आम भाषा में वाइट डिस्चार्ज (white discharge) या सफ़ेद पानी कहा जाता है। इसी को इंग्लिश में लयूकोरिया (leucorrhoea) व हिंदी में प्रदर भी कहा जाता है। यह समस्या महिलाओं में बहुत आम है। 

सफ़ेद पानी क्यों आता है ?

यूँ तो इस द्रव का निकलना आम सी बात है क्योकि यह शरीर की एक रक्षात्मक क्रिया है। यह द्रव योनि के रास्ते शरीर में प्रवेश करने वाले बैक्टीरिया को बाहर निकाल कर प्रजनन तंत्र में होने वाले संक्रमण को रोकता हैं। 
मगर कभी-कभार इस द्रव का रंग, गाढ़ापन और गंध बदल जाती है। जो अलग-अलग कारणों पर निर्भर करता है। ऐसे में कब इसे चिकित्सीय उपचार की ज़रूरत है उसके लिए इस द्रव के बारे कुछ और बातें समझ लेना ज़रूरी है। नीचे स्थिति के हिसाब से द्रव के बारे में लिखा गया है ।

1. पारदर्शी, दुर्गंधहीन व तरल द्रव

-मासिक धर्म का एक चक्र होता है। जो सामान्यतयः 21-35 दिन का हो सकता है। इस पूरे वक़्त में योनि से निकलने वाले तरल का रंग पारदर्शी से सफ़ेद व हल्का पीला, व गाढ़ापन तरल से चिपचिपा हो सकता है। मगर  हमेशा यह दुर्गंधहीन ही रहेगा। 

-जब महिलाएं सम्भोग के लिए उत्तेजित होती है तब भी इस प्रकार का द्रव योनि से निकलना आम बात है जो योनि में फिसलन पैदा करने के लिए प्राकृतिक प्रक्रिया है। 

2. सफ़ेद या हल्का पीला, गाढ़ा व दुर्गंधहीन

-जब महिला में अंडा अंडकोश से निकलकर गर्भाशय मे जाता है इसे डिंबोत्सर्जन (ovulation) कहते है। इस दौरान योनि से निकलने वाला द्रव सफ़ेद, गाढ़ा व मात्रा में थोड़ा बढ़ जाता है क्योकि डिंबोत्सर्जन से ठीक पहले एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल बढ़ा जाता है जो इस द्रव के स्राव को बढ़ा देता है ताकि इस द्रव की मदद से शुक्राणु  आसानी से तैरकर अंडे तक पहुंच सके और गर्भ धारण हो सके।  

-गर्भवती महिलाओं में भी इस प्रकार का स्राव सामान्य बात है। गर्भवती महिला में यह शरीर की बढ़ती सुरक्षा प्रणाली का सूचक है। ताकि कोई भी इन्फेक्शन गर्भ तक ना पहुंच सके। 

4. हल्का भूरा, गाढ़ा व दुर्गंधरहित 

अक्सर माहवारी के बाद एक हल्के भूरे रंग का फैला हुआ सा गाढ़ा पदार्थ निकलता है। यह साफ़ होते गर्भाशय की वजह से हो सकता है। जिसमे बचे हुए खून की बूंदे मिलकर इसे एक भूरा रंग दे देती है।

मगर कई बार यह किसी तरह के इन्फेक्शन के कारण भी हो सकता है इसलिए इस प्रकार के स्राव के लिए चिकित्सीय सलाह ज़रूरी है। 

सामान्य और असामान्य White डिस्चार्ज में क्या अंतर होता है ?

सामान्य white डिस्चार्ज:-

सामान्य डिस्चार्ज पारदर्शी, दूधिया सफ़ेद या हल्का पीला होता है। ये बिलकुल तरल से थोड़ा गाढ़ा व चिपचिपा भी हो सकता है। साथ ही इससे कोई दुर्गन्ध नहीं आती। सामान्य डिस्चार्ज की मात्रा एक दिन में कुछ बूंदों से लेकर एक चम्मच भर हो सकती है। यह पूरे मासिक चक्र के दौरान बदलता रहता है। जहाँ डिंबोत्सर्जन, पीरियड के पहले व बाद में सफ़ेद पानी का बढ़ जाना स्वाभाविक है। प्रेगनेंसी में भी इसकी मात्रा बढ़ना सामान्य है।  

आसामान्य white डिस्चार्ज 

असामान्य डिस्चार्ज का रंग गहरा पीला, सलेटी, भूरा व हरा हो सकता है। साथ ही ये बिलकुल गाढ़ा, चिपचिपा होता है। इसमें से एक अजीब तेज़ गंध भी आती है। जिसके साथ योनि में खुजली, जलन, सूजन, दर्द जैसी शिकायतें देखने को मिलती है। ऐसे में उपचार ज़रूरी है। 

आसामान्य डिस्चार्ज/सफ़ेद पानी के कारण 

-70% असामान्य डिस्चार्ज का कारण बैक्टीरियल या यीस्ट इन्फेक्शन होता है। 
-एक से अधिक लोगो के साथ सम्भोग 
-कंडोम के बिना सम्भोग 
-खून की कमी 
-कॉपर-T, टैम्पोन आदि का lइस्तेमाल 
-योनि क्षेत्र को ज़्यादा रगड़ कर धोना
-लगातार जननांग में नमी या धोने के बाद ना पोछना 
-पेशाब के बाद ना धोना 
-एंटीबायोटिक्स और स्टेरॉयड का इस्तेमाल 
-बर्थ कण्ट्रोल पिल का इस्तेमाल 
-सुगंध वाले साबुन या स्प्रे का इस्तेमाल करना 
-योनि फिस्टुला 
-योनि कैंसर 

सफ़ेद पानी के लक्षण 

- कमर दर्द 
- पिंडलियों में दर्द 
- थकन 
- सरदर्द 
- पेट के निचले भाग में दर्द 
- कब्ज़ 

सफ़ेद पानी का इलाज 

यदि सफ़ेद पानी किसी इन्फेक्शन की वजह से आ रहा है तो इसके लिए डॉक्टर से इलाज ज़रूरी है। बाकी इलाज  के अलावा योनि को संक्रमण से बचाने के लिए नीची लिखी बातों पर ध्यान देना ज़रूरी है। 

- योनि को सादा पानी से अच्छे से धोए। किसी भी तेज़ सुगंध वाले साबुन या लिक्विड वॉश का इस्तेमाल ना करे। 
- धोते वक़्त ज़्यादा रगड़-रगड़ कर ना धोये। इससे योनि का pH लेवल गड़बड़ाता है। 
- हर बार धोने बाद इसे आगे से पीछे की तरह पोछकर अच्छी तरह सुखाये। 
- सूखा रखने के लिए लगातार पैंटीलाइनर का इस्तेमाल ना करे। 
- हमेशा सूती अंडरवियर पहने। 
- रात के समय अंडरवियर पहनने से बचे। 
- रोज़ाना कसे हुए कपड़े जैसे कसी हुई पैंट, अंडरवियर आदि ना पहने। 
- पीरियड के समय खुशबूदार पैड का इस्तेमाल ना करे व पैड को हर 3-4 घंटे में जल्दी-जल्दी बदलते रहे।
- बिना कंडोम के सम्भोग से बचे 
- सम्भोग के बाद घंटेभर में पेशाब जाकर योनि को धो ले। ताकि कोई संक्रमण का कारण अंदर ना पहुंच सके। 

सफ़ेद पानी बंद करने के लिए क्या खाना चाहिए ?

अच्छा संतुलित आहार खाना भी सफेद पानी रोकने के लिए ज़रूरी है। सफेद पानी बंद करने के लिए निम्नलिखित आहार खाना चाहिए। 

फल और सब्जियां

ताजा फल और सब्जियां जैसे की अदरक, लहसुन, पालक, गाजर, गोभी, टमाटर, और आम प्रोटीन और पोटैशियम के अच्छे स्रोत हैं और स्त्री रोगों को ठीक करने में मदद कर सकते हैं।

प्रोबायोटिक्स

दही और छाछ में मौजूद प्रोबायोटिक्स स्त्री रोगों को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।

फाइबर युक्त आहार

बढ़िया तरीके से फाइबर युक्त आहार लेना महिलाओं के लिए फायदेमंद होता है। इसमें अनाज, दालें, सब्जियां, और फल शामिल होते हैं।

पानी

प्रतिदिन पर्याप्त मात्रा में पानी पीना भी महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।

खासकर ध्यान देने वाले पदार्थ

लौकी का रस, शतावरी, नारियल पानी, और अदरक का रस सफेद पानी को बंद करने में मदद कर सकते हैं।

सफ़ेद पानी का आयुर्वेदिक इलाज 

1. खूब पानी पिए 

सफ़ेद पानी की समस्या में ज़्यादा पानी पीना फायदेमंद साबित होता है। ज़्यादा पानी पीने से जल्दी-जल्दी पेशाब आता है जिसकी वजह से संक्रमण करने वाले बैक्टीरिया बहार निकल जाते है। 

2. भिंडी 

भिंडी खाना भी सफ़ेद पानी से आराम दिलाता है। इसके लिए आप रात को 3-4 भिंडी काटकर आधा गिलास पानी में भिगो दे। फिर सुबह इस पानी को खाली पेट पिए। या फिर आप कटी हुई भिंडी को पानी में 5 मिनट उबाल कर भी पी सकते है। दोनों ही तरीको से कुछ हफ़्तों में आराम दिखने लगेगा। 

3. धनिये का पानी 

रिसर्च के मुताबिक़ रात को भिगाये गए साबुत धनिये का पानी सुबह खाली पेट पीना सफ़ेद पानी की समस्या में आराम देता है। 

रात को 1 बड़े चम्मच धनिये के दानों को आधा गिलास पानी में भीगा कर रख दे। सुबह खाली पेट इसे छानकर या तो ऐसे ही पि ले या फिर 2-3 मिनट उबाल कर ठंडा काके पिए। स्वाद के लिए थोड़ा शहद मिला सकते है। 

4. दही

दही में प्रोबायोटिक्स होते हैं, जो फायदेमंद बैक्टीरिया होते हैं जो योनि में सूक्ष्मजीवों के प्राकृतिक संतुलन को ठीक रखने में मदद करते हैं। एक रिसर्च के मुताबिक़ दही का सेवन करने से महिलाओं में योनि संक्रमण की घटनाएं कम हो गईं।

5. लहसुन

लहसुन में प्राकृतिक ऐसे गुण होते हैं जो संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। एक रिसर्च में पाया गया कि लहसुन खाना ल्यूकोरिया सहित योनि संक्रमण के इलाज में प्रभावी थे।

6. मेथी के बीज

मेथी के बीजों में रोगाणुरोधी और सूजन रोधी गुणों वाले यौगिक होते हैं। जर्नल ऑफ एथनोफार्माकोलॉजी में प्रकाशित शोध से पता चलता है कि मेथी के बीज योनि स्राव और संबंधित लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं।

7. हल्दी

हल्दी में एक सक्रिय यौगिक करक्यूमिन होता है जिसके एंटी-इन्फ्लैमटरी गुण होते हैं। जर्नल ऑफ मेडिसिनल फूड में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि करक्यूमिन कैंडिडा प्रजातियों के सूक्ष्म जीवाणुओं के विकास को रोकता है, जो अक्सर योनि संक्रमण से जुड़े होते हैं। इसलिए  का उपयोग बढ़ाना फायदे मंद साबित होगा। या हल्दी वाला दूध भी पी सकते है। 

8. आंवला

आंवला विटामिन सी से भरपूर होता है और इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। फार्माकोग्नॉसी रिव्यूज़ में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है कि आंवला अपने एंटीऑक्सीडेंट और प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाले प्रभावों के कारण योनि स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। आप रोज़ाना कच्चे आंवले की चटनी, जूस या अगर आपको डायबिटीज़ की समस्या ना हो तो आंवले का शहद में भेजा मुरब्बा भी खा सकते है। 

9. नीम 

नीम में जीवाणुरोधी और एंटीफंगल गुण होते हैं। जर्नल ऑफ एथनोफार्माकोलॉजी में प्रकाशित शोध से संकेत मिलता है कि नीम का अर्क कैंडिडा प्रजाति इन्फेक्शन फ़ैलाने वाले सूक्ष्मजीवों के खिलाफ प्रभावी हो सकता है, जो योनि में संक्रमण का कारण बन सकता है। आयुर्वेदिक दुकानों पर नीम की गोली या कैप्सूल उपलब्ध होते है। पैकिंग पर मौजूद खुराक के अनुसार आप कर सकते है।   

नोट :- इन सभी विकल्पं के बावजूद यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि ये प्राकृतिक उपचार ल्यूकोरिया के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन वे अंतर्निहित कारण का समाधान नहीं कर सकते हैं। इसलिए उचित निदान और उपचार के लिएएक बार डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, इन उपचारों के प्रति व्यक्तिगत प्रतिक्रियाएं अलग-अलग हो सकती हैं, और इन्हें उपयोग करने से पहले पैच परीक्षण करने या स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करने की सलाह दी जाती है, खासकर यदि आपको एलर्जी या संवेदनशीलता है।

कुछ सवाल 

1. सफेद पानी को जड़ से खत्म कैसे करें?

सफेद पानी को जड़ से खत्म करने के लिए, सबसे पहले उपचार के लिए डॉक्टर से परामर्श करें। उनके सुझावों और निर्देशों के अनुसार दवाइयाँ इस्तेमाल करें। घरेलू उपायों में पका केला खाना, आंवला, हल्दी, भिंडी, भीगे मेथी दाने या साबुत धनिये का पानी सुबह खाली पेट पीने से फायदा पहुंच सकता है।

2. सफेद पानी आना क्या लक्षण है?

सफ़ेद या हलके पीले रंग के द्रव का आना ओवुलेशन के दौरान, पीरियड से पहले व बाद में और प्रेगनेंसी में सामान्य होता है। यह शरीर की एक रक्षात्मक क्रिया है। मगर इन्फेक्शन इसका रंग गहरा पीला, सलेटी व हरा हो जाता है। साथ ही यह एक तेज़ बदबू मारता है। ऐसे में डॉक्टर से इलाज ज़रूरी है। 

3. लिकोरिया से होने वाले नुकसान क्या है?

  1. लंबे समय तक लिकोरिया मिलने पर कमजोरी, कमर दर्द, पिंडलियों में दर्द, थकन, योनि क्षेत्र में जलन, खुजली, और रूखापन जैसे समस्याएं हो सकती हैं। यदि लिकोरिया का इलाज सही समय पर नहीं किया गया तो योनि संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
Medically edited by:-
Dr. Dolly